दक्षिण कन्नड़, 8 जून (आईएएनएस)| कर्नाटक में हिजाब विवाद थमने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। कॉलेज अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के बावजूद कुछ छात्राएं कक्षाओं में हिजाब पहनना जारी रखे हुई हैं। पुत्तूर निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक संजीव माथांदूर, जो उप्पिनंगडी डिग्री कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने चेतावनी दी है कि हिजाब पहनने पर जोर देने वाली छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने बुधवार को कहा, “हिजाब के नाम पर सांप्रदायिक संगठन छात्राओं को भड़का रहे हैं। हाईकोर्ट की विशेष बेंच और कॉलेज विकास समिति के फैसले का उल्लंघन करने वाली छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी।”
उन्होंने कहा, “हिजाब पर जोर देने वाली 24 छात्राओं को मंगलवार को निलंबित कर दिया गया था। अगर वे विरोध करना जारी रखती हैं तो उनके खिलाफ वैसी ही कार्रवाई की जाएगी। छात्राओं को अपनी प्राथमिकता पर फैसला करना होगा कि उनके लिए सीखना महत्वपूर्ण है या धार्मिक अभ्यास करना।”
विधायक ने कहा, “मैंने कहा है कि यदि छात्राओं को लगता है कि धार्मिक प्रथाओं का पालन करना अधिक महत्वपूर्ण है, तो उनके लिए कॉलेज से बाहर जाना बेहतर है। वे वहां शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं, जहां धर्म का पालन करने का प्रावधान है।”
उन्होंने कहा, “मैं हिजाब के बारे में सच्चाई की बात करने के लिए पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक यू.टी. खादर की सराहना करता हूं। कम से कम, छात्राओं को एक मुस्लिम नेता के शब्दों को सुनना और उनका पालन करना चाहिए। हम छात्राओं द्वारा गैर-जिम्मेदार व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकारी कॉलेज में, शैक्षणिक संस्थान में सभी धर्मो के छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जाती है।
विधायक ने कहा, “हमने हिजाब संकट की पृष्ठभूमि में कॉलेज के लिए छुट्टी घोषित करने के जिला आयुक्त के निर्णय को स्वीकार नहीं किया है। यदि अवकाश घोषित किया जाता है, तो छात्र हार जाएंगे। छात्रों को अगले महीने अपने सेमेस्टर की परीक्षा देनी होगी। इस कारण से अवकाश घोषित नहीं किया गया है और कक्षाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए कार्रवाई शुरू की जाएगी।”
दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर तालुक के उप्पिनंगडी डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाली 24 लड़कियों को मंगलवार को हिजाब पहनने की जिद करने पर कक्षाओं में जाने से रोक दिया गया।
हिजाब संकट उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की 6 छात्राओं के विरोध से शुरू हुआ और एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बन गया। इसने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति भी पैदा कर दी। इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।