लंबी वायरस को लेकर पशुपालकों में दहशत व्याप्त है, जानवरों में फैलने वाली इस बीमारी को लेकर लगातार प्रशासन अलर्ट जारी कर रहा है। इधर नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय में आज बुधवार को लंपी वायरस से पीडित एक गाय को भर्ती कराया गया है। पशुपालक को जब इस बीमारी के बारे में पता चला तो उसके होश उड़ गए। हालांकि वेटरनरी डॉक्टरों ने पशुपालक को समझाया कि इस बीमारी से भयभीत होने की जरूरत नहीं है, सही समय, उचित इलाज मिलने से इस बीमारी से जीता जा सकता है।
वेटरनरी डॉक्टर बृजेश सिंह ने बताया कि लालमाटी जबलपुर क्षेत्र से एक पशुपालक अपनी गाय को लेकर अस्पताल पहुंचा था उसका कहना है कि गाय को लंपी वायरस के लक्षण है। पशुपालक के कहने और गाय की हालत देखकर सेंपल लैब भेजा गया है। संभवतः गाय को लंपी वायरस है।
इस वायरस से संक्रमित पशुओं के नाक और मुंह से पानी व लार गिरने लगती है. तेज बुखार होता है और ऐसे जानवर भोजन छोड़ देते है. ऐसे पशुओं की चमड़ी के नीचे पहले छोटे- छोटे दाने हो जाते हैं. यह दाने घाव में बदल जाते हैं. यह अधिकतर मवेशियों के मंद गर्दन और गुप्तांग के पास पाए जाते है।
नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा के चिकित्सक बताते हैं कि लंबी वायरस होने पर पशुपालकों को क्या उपाय करना चाहिए वे कहते हैं कि अगर आपके पशु को लंबी वायरस होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत निकटतम पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचित करें अगर आपकी गाय संक्रमित हो गई है तो संक्रमित गाय को स्वस्थ गायों से अलग करें, अगर आपके पास संक्रमित गाय है तो ऐसे पशु को अन्य पशुओं से दूर रखना चाहिए संक्रमित गायों की आवाजाही को प्रतिबंधित करें गायों को हमेशा साफ पानी दें कोई चिकित्सक कहते हैं कि संक्रमित गायों का दूध निकाल कर उसे कच्चा नहीं पीना चाहिए संक्रमित गायों का उबला दूध पिएं, मच्छरों, मक्खियों, घुनों आदि से बचाव के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें. इसके साथ ही जिस स्थान पर पशुओं को रखा जा रहा है वह स्थान साफ सुथरा होना चाहिए प्राय देखा जाता है कि गौशाला में गोबर व मूत्र चारों ओर फैला रहता है जिस पर यह पशु बैठ जाया करते हैं अगर पशुओं को बांधने वाली जगह साफ नहीं हो तो उसे तुरंत ही साफ करना चाहिए और पशुशाला, गौशाला, पशु खलिहान में फिनाइल / सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव करें.