जबलपुर :- नवीन महाकाली विकास युवा संस्था बड़ी महाकाली पड़ाव से जगदीश मंदिर लिंक रोड (लटकारी पड़ाव) की भव्य काली की प्रतिमा का विसर्जन शरद पूर्णिमा के दिन किया जाता है पिछले 68 वर्षों से भव्यता, आस्था व चमत्कार का इतिहास संजोए यह प्रतिमा लाखों और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है।
इस प्रतिमा के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विसर्जन यात्रा इस में 18 घंटे का वक्त लग जाता है। छोटी लाईन फाटक से गौरीघाट स्थित भिटौली कुंड तक करीब १ लाख लोग डग डग पर पूजन- अर्चन करते हैं। लाखों की संख्या में नारियल भेंट किये जाते हैं। मां के भक्त जबलपुर में ही नहीं पूरे देश में हर साल शिर्डी सांई सेवा संस्थान द्वारा गुलाब की माला मातारानी के लिए भेजी जाती है। नागपुर से भक्तों द्वारा मखाने की माला प्रतिवर्ष आती है। जयपुर और गुजरात के लोग यहां आकर माता को चुनरी चढ़ाते हैं और उनके जूलूस में भी शामिल होते हैं।
समिति के एडवोकेट अखिल राज ने बताया कि सन 1955 में प्रतिमा की स्थापना पहली बार की गई थी। उन्होंने कहा कि समिति अपने विधान के मुताबिक 13 दिन के लिए प्रतिमा की स्थापना करती है। विसर्जन जुलूस में गोरखपुर से गौरीघाट के बीच कम से कम 1 लाख लोगों का सैलाब प्रतिमा के दर्शन पूजन करने उमड़ता है। श्रद्धालु जुलूस मार्ग की स्वयं सफाई करते हैं और धुलाई करते है।। लाखों की तादाद में नारियल फूटते है। नींबू और भभूत पाने होड़ लगी रहती है। पंडा द्वारा भक्तों को दिया जाने वाला नीबू चमत्कारी होता है यहाँ नींबू और भभूत पाने होड़ लगी रहती है।
जिससे भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि महाकाली जबलपुर की महारानी के नाम से विख्यात हैं