इस्लामाबाद, 13 मई | पाकिस्तान राजनीतिक अशांति, अनिश्चितता और अराजकता वाला देश बन गया है। राजनीतिक दलों ने सत्ता हथियाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब सबकी नजर पंजाब प्रांत पर है। विधानसभा भंग होने के बाद देश का सबसे बड़ा प्रांत पंजाब राजनीतिक अशांति का केंद्र बन गया है। पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान ने खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के साथ-साथ पंजाब की विधानसभा भी भंग कर दी थी, जहां उनकी सरकार थी।
हालांकि, मौजूदा सरकार ने एक कार्यवाहक सरकार का गठन कर इस कदम का मुकाबला किया। यह अब 90 दिनों का कार्यकाल पूरा कर चुका है लेकिन अभी भी प्रांत में चुनाव की कोई संभावना नहीं है।
सरकार का कहना है कि वह पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाएगी। पंजाब और केपी प्रांतों में अलग-अलग चुनाव होने कराने से देश पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
सरकार के इस कदम ने पंजाब में एक तरह से राजनीतिक अशांति पैदा कर दी है। पीटीआई ने अदालतों में चुनाव कराने से संघीय सरकार के इनकार के खिलाफ चुनौती दी है।
लाहौर स्थित राजनीतिक विश्लेषक मुहम्मद हसन ने कहा, पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा पंजाब के रास्ते से जाता है। जिस राजनीतिक दल की पंजाब में सरकार होती है वही देश की सत्ता पर काबिज रहता है। यही कारण है कि पीटीआई और अन्य राजनीतिक दल पंजाब में राजनीतिक व्यवस्था पर नियंत्रण हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) के अधिकारियों द्वारा इस्लामाबाद हाई कोर्ट से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पैदा हुए मौजूदा अशांति के बाद पंजाब, विशेष रूप से इसकी प्रांतीय राजधानी लाहौर में सबसे खराब हिंसा देखी गई। पीटीआई कार्यकर्ता और समर्थकों ने कोर कमांडर कार्यालय पर धावा बोल दिया, तोड़-फोड़ और लूटपाट की, जिसके बाद प्रांत के विभिन्न हिस्सों में सरकारी संस्थानों की इमारतों और सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठानों पर हमले हुए। इसके चलते खान, उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए।
अशांति से निश्चित रूप से यह साबित हो गया है कि राजनीतिक दलों के बीच सत्ता के लिए असली लड़ाई पंजाब को लेकर है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इमरान खान की पार्टी और उनके प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच पंजाब राजनीतिक लड़ाई का केंद्र बनने जा रहा है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), जिसका पंजाब कभी गढ़ था, फिर से ताकत हासिल करना चाहती है। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी), जिसका सिंध प्रांत में मजबूत आधार है, अब राजनीतिक पैंतरेबाजी के पंजाब में पैठ बनाना चाहती है।