उषा मेहता, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महान विभूति, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1920 में सरास, गुजरात में जन्मी उषा को बचपन से ही राष्ट्रीयता की भावना से प्रभावित किया गया था।
प्रारंभिक जीवन और स्वतंत्रता संग्राम से परिचय:
मेहता का स्वतंत्रता संग्राम से संबंध उस समय शुरू हुआ जब वह केवल आठ साल की थी। वह साइमन आयोग के प्रतिवाद में “साइमन वापस जाओ” के नारे के साथ भाग लिया।
भारत छोड़ो आंदोलन और उषा की भूमिका:
1942 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आयोजित भारत छोड़ो आंदोलन ब्रिटिश उपनिवेशी शासन के खिलाफ एक सामूहिक प्रतिरोध था। उसका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन को अहिंसात्मक प्रतिरोध के माध्यम से समाप्त करना था।
इस आंदोलन के दौरान, जब महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रमुख नेता बंदी बनाए गए थे, उषा ने सुनिश्चित किया कि प्रतिरोध की आवाज़ शांत नहीं हो।
गुप्त रेडियो स्टेशन:
उषा मेहता का सबसे महत्वपूर्ण योगदान एक गुप्त रेडियो स्टेशन, कांग्रेस रेडियो की स्थापना करना था। इस अधोगति स्टेशन ने भारत छोड़ो आंदोलन की आवाज़ बनी, और उन संदेशों, समाचार और अपडेट्स का प्रसारण किया जिसे ब्रिटिश ने दबाने की कोशिश की।
गिरफ्तारी और परिणाम:
उषा के प्रयास बहुत समय तक छुपे नहीं रह सके। 1942 में, ब्रिटिश प्राधिकृत ने रेडियो प्रेषक का स्थान पता लगाया, जिससे उषा मेहता और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी हो गई। वह करीब चार साल तक कैद में रहीं।
विरासत:
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, उषा मेहता ने देश की सेवा जारी रखी। वह विद्या में जारी रही, मुंबई विश्वविद्यालय में प्रमुख प्रोफेसर बनी।
उषा मेहता की समर्पण भावना बहुत सारे अगुणीत हीरोज की अदम्य आत्मा का प्रतीक है, जिन्होंने अपने अपनी संघर्षशीलता और एक स्वतंत्र भारत के विचार में विश्वास के साथ एक शक्तिशाली साम्राज्य को चुनौती दी। उनकी भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका, खासकर कांग्रेस रेडियो की स्थापना, देश के कारण में उनकी निर्भीक प्रतिबद्धता का प्रमाण बनी रही है।