हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार में परस्पर कोई तालमेल नहीं है। कोई कुछ कहता है कोई कुछ करता है। बिना प्लानिंग और सोच विचार के बातें करना, फ़ैसले लेना और फिर फ़ैसले को वापस ले लेना कांग्रेस की परंपरा रही है।
श्री ठाकुर ने कहा कि शनिवार राज्य सरकार ने दोपहर को नॉटिफ़िकेशन जारी करते हुए कहा कि पटवारी और क़ानूनगो अब से राज्य सरकार के कर्मचारी होंगे। इस नॉटिफ़िकेशन पर संबंधित कर्मचारियों ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं देनी शुरू कर दी, कुछ ही देर बाद सरकार की तरफ़ से दूसरा नोटोफ़िकेशन जारी हुआ, जिसने पहले नॉटिफ़िकेशन को ही ख़ारिज कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है जब सरकार ने जो फ़ैसले लिए हो उसे बाद में वापस नहीं लेने पड़े हों। बस ज़्यादातर फ़ैसलों में सरकार की किरकिरी होती है और आम प्रदेशवासी परेशान होते हैं।
उन्होंने कहा कि इसके पहले सरकार ने एचआरटीसी में नई लगेज पॉलिसी लाई और बुजुर्गों की दवाई से लेकर बच्चों के खेलने के सामान पर भी किराया वसूला। विशेष पथकर लगाकर प्रदेश के पर्यटन को तबाह करने की कोशिश की गई। लोगों के विरोध के बाद सरकार को इन दोनों फ़ैसलों को भी बदलने पड़े। अभी भी लगेज पॉलिसी में प्रदेश की जनता और एचआरटीसी के कर्मचारी पिस रहे हैं। इसके अलावा आपदा के समय में सरकार ने सभी क्रशर बंद कर दिये। जिससे आपदा में अपना घर गवां चुके लोगों के घर नहीं बने, बजरी-रेता जैसी चीजें पांच-पांच गुना दाम देने पर भी ढूंढ़े नहीं मिल रही थी। व्यापक जनविरोध के बाद सरकार ने अब क्रशर को फिर से चलाने की अनुमति दी हैं। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा में गेस्ट शिक्षक की भर्ती करने की बातें की, प्लान भी डिस्कस हुआ, बाद में उसे भी वापस ले लिया।
श्री ठाकुर ने कहा कि सरकार में तालमेल की कमी का क्या कारण है, मुख्यमंत्री को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोपहर के फ़ैसले शाम तक पलट जाते हैं तो सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसे फ़ैसले किस मजबूरी में लिए गए और किस मजबूरी में वापस किए गए। उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल है। कांग्रेस की दस झूठी गारंटियां आज उसके गले की फ़ांस बनी हुई हैं। नेता आम लोगों के बीच जाने से बच रहे हैं। कांग्रेस को सिर्फ़ और सिर्फ़ विकास पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि दिवाली में जब लोग घर आते हुए अपने परिवार के नन्हे-मुंहे बच्चों के लिए तोहफ़े ला रहे थे तो लोगों से बच्चों के तोहफ़ों का किराया वसूला गया। इस प्रक्रिया में एचआरटीसी के कर्मचारी भी पिसे। उन्होंने कहा कि पेट काट काटकर बचाए गए पैसों से ख़रीदे गये बच्चों के तोहफ़ों पर भी सरकारी बसों में किराया वसूला गया। इस तरह की सरकारी तानाशाही आज तक सरकार ने नहीं देखी थी।