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December 15, 2025
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स्नान से लेकर खानपान तक, कैसी हो रोगी की दिनचर्या? आयुर्वेद से जानें सही तरीका

नई दिल्ली, 15 दिसंबर। बीमार लोगों के लिए सही औषधि जितनी जरूरी है, उतनी ही महत्वपूर्ण उसकी दिनचर्या भी है। गलत आदतें उपचार को कमजोर कर देती हैं और रोग को लंबा खींचती हैं, जबकि सही दिनचर्या शरीर को रोगमुक्त होने की आंतरिक ताकत देती है।

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि रोगी यदि कुछ सरल नियमों का पालन करे तो रिकवरी तेज होती है और रोग दोबारा होने की संभावना कम हो जाती है। सबसे पहला नियम है ब्रह्ममुहूर्त में जागना। इस समय वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन और प्राणवायु होती है, जो फेफड़ों, मस्तिष्क और हार्मोन बैलेंस के लिए लाभदायक है। नियमित ऐसा करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और नींद बेहतर आती है।

दूसरा महत्वपूर्ण नियम है शौच क्रिया को कभी न रोकना। मल-मूत्र या गैस रोकने से वात दोष बढ़ता है, जो कई रोगों का कारण है। रोगी को सुबह गुनगुना पानी पीना, त्रिफला या इसबगोल का सेवन करना चाहिए।

मुंह और जीभ की सफाई भी रोग मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम है। जीभ पर जमी सफेद परत (आम) रोग का संकेत होती है। रोजाना नीम, बबूल या अन्य दातून से दांत साफ करना और जीभ की सफाई से पाचन क्रिया सुधरती है और दवाओं का प्रभाव बढ़ाने में मददगार है।

रोजाना तिल, नारियल या महाभृंगराज तेल से शरीर की मालिश करना कई रोगों से रक्षा करता है। यह जोड़ों के दर्द को कम करता है, नसों को पोषण देता है और इससे नींद गहरी आती है। विशेष रूप से सर्दियों में यह विशेष लाभकारी है। स्नान का सही तरीका भी आवश्यक है। आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि भोजन के तुरंत बाद या देर रात स्नान नहीं करना चाहिए। गुनगुने पानी से स्नान करना सबसे सही होता है। सिर पर हल्का ठंडा और शरीर पर हल्का गर्म पानी डालना रक्त संचार सुधारने के साथ थकान और जकड़न दूर करता है।

आयुर्वेदाचार्य के मुताबिक मरीज को हल्का, गर्म, ताजा और सुपाच्य भोजन होना चाहिए। खिचड़ी, मूंग दाल, दलिया, उबली सब्जियां और थोड़ा घी श्रेष्ठ हैं। बासी, ठंडा, तला-भुना या अधिक मसालेदार भोजन करना नुकसानदायी हो सकता है। भोजन का समय भी निश्चित होना चाहिए। रात का भोजन सूर्यास्त के कुछ घंटे बाद ले लेना चाहिए।

रोगी के लिए बेहतर नींद भी रिकवरी का आधार है। दिन में अधिक सोना और रात में देर तक जागना दोनों हानिकारक हैं। 6 से 7 घंटे की गहरी नींद शरीर की मरम्मत करती है।

शरीर का पूरा संबंध मन से होता है। ऐसे में तन को स्वस्थ रखने के लिए मन को भी स्वस्थ रखना जरूरी है। ध्यान, प्राणायाम, मंत्र जप और सकारात्मक सोच को दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। चिंता और तनाव रोग को लंबा खींचते हैं।

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