30.5 C
Jabalpur
May 8, 2024
सी टाइम्स
राष्ट्रीय

सताए हुए अफगानों को भारत में मिल रही तसल्ली

नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)| काबुल हवाईअड्डे से दिल दहला देने वाली तस्वीरें मीडिया में वायरल होने के साथ ही भारत में रहने वाले अफगान अपने देश में अपने प्रियजनों की सलामती के लिए उत्सुकता से प्रार्थना कर रहे थे। जबकि उनकी घबराहट और दर्द के लिए कोई उपाय नहीं हो सकता है, भारत में एक सम्मानजनक जीवन और सामाजिक सुरक्षा हासिल करने में कुछ सांत्वना थी, एक ऐसा देश जो प्यार और गर्मजोशी के साथ विविधता को गले लगाता है। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के अनुसार, 2019 में भारत में लगभग 40,000 शरणार्थी और शरण चाहने वाले पंजीकृत थे। 27 प्रतिशत पर, अफगान उनमें से दूसरा सबसे बड़ा समुदाय था।

भारत में रहने वाले अधिकांश अफगान शरणार्थी नई दिल्ली में केंद्रित हैं। राजधानी का लाजपत नगर, मूलरूप से देश के विभाजन के बाद आए शरणार्थियों के लिए बनाई गई एक कॉलोनी है, जहां कई अफगान परिवार रहते हैं। ऐसा लगता है कि यहां रहने वालों ने स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं में खुद को एकीकृत कर लिया है, जो भारत की समृद्ध और समन्वित सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।

पठानी सलवार-कुर्ता पहने पुरुष और अबाया पहने महिलाओं को यहां देखा जा सकता है, बिना किसी अवरोध के खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करते हुए। इसके अलावा, अफगान समुदाय भी स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। यहां वे रेस्तरां और जनरल स्टोर चला रहे हैं अंग्रेजी और दारी दोनों भाषाओं में लिखे साइनबोर्ड के साथ।

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा के बाद हालांकि, लाजपत नगर और भोगल स्थित अफगान कॉलोनी में कई दुकानें, ट्रैवल एजेंसियां और रेस्तरां हैं, जो ज्यादातर अफगान छात्रों, चिकित्सा पर्यटकों और शरणार्थियों के लिए हैं। वे अपने देश के लोगों का हाल जानकर हताश हैं। हालांकि उनमें से अधिकांश अपना मुल्क वापस नहीं जाना चाहते, लेकिन जो पीछे छूट गए हैं, उनकी सुरक्षा की चिंता उन्हें सोने नहीं दे रही है।

इस समय भारत में 16,000 से अधिक अफगान छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, और पिछले दो दशकों के दौरान, 60,000 से अधिक स्नातक, स्नातकोत्तर और अन्य पेशेवर देश में अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अफगानिस्तान लौट गए हैं।

इस समय हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में पढ़ रहे 150 अफगान छात्रों के लिए तालिबान की जीत ने उनके स्वदेश लौटने की उम्मीदों को लगभग धराशायी कर दिया है। तेलंगाना में लगभग 200 अफगान छात्र और 10-12 छात्राएं हैं। इन्होंने अब अपने भारतीय वीजा के विस्तार के बारे में पूछताछ शुरू कर दी है।

साथ ही, मैसूर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 92 अफगान छात्रों ने पहले ही भारत में अपने प्रवास के विस्तार की मांग की है, क्योंकि वे यहां सुरक्षित महसूस करते हैं।

अन्य ख़बरें

भाजपा की पूरी मशीनरी राहुल के बारे में झूठ फैलाने में जुटी : प्रियंका गांधी

Newsdesk

सैम पित्रोदा के बयान पर पीएम मोदी का कटाक्ष, ‘शहजादे के फिलॉस्फर और गाइड अंकल ने बड़ा रहस्य खोला’

Newsdesk

भारत में गूगल वॉलेट ऐप लॉन्च, यूजर्स को अब एक ही जगह पर मिलेंगी ये सुविधाएं

Newsdesk

Leave a Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Privacy & Cookies Policy

Discover more from सी टाइम्स

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading