December 9, 2025
सी टाइम्स
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ATS अधिकारी’ बनकर साइबर ठगों ने 4 दिन तक रिटायर्ड महिला शिक्षक को रखा डिजिटल अरेस्ट में, पुलवामा का डर दिखाकर मांगे 70 लाख रुपए

जबलपुर में एक रिटायर्ड महिला शिक्षिका को साइबर ठगों ने ‘एटीएस अधिकारी’ बनकर चार दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। ठगों ने पुलवामा हमले से जुड़े फर्जी मामले का डर दिखाते हुए उनसे 70 लाख रुपए की मांग की। हालांकि समय रहते पुलिस की मदद मिलने से दंपत्ति और उनकी जमा-पूंजी दोनों सुरक्षित हैं।

घटना 6 दिसंबर की है, जब बाई का बगीचा क्षेत्र में रहने वाली रिटायर्ड शिक्षिका अमिता ग्रेबियल के फोन पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड का अधिकारी बताया और कहा कि उनके बैंक खाते से पुलवामा हमले से जुड़े 70 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि मामला बहुत गंभीर है और उन पर एटीएस और आरबीआई की संयुक्त जांच चल रही है। इस तरह की झूठी कहानी बनाकर उन्हें मानसिक रूप से दबाव में लिया गया।

कुछ मिनट बाद ही कॉल को वीडियो कॉल में बदल दिया गया और यहीं से शुरू हुआ महिला का डिजिटल अरेस्ट। साइबर ठगों ने महिला के मोबाइल पर ‘Signal’ एप डाउनलोड करवाया और उन्हें एक फर्जी एटीएस ग्रुप में जोड़ दिया, जिसमें अलग-अलग नामों से ठग खुद को अधिकारी बताकर जोड़ते गए। इसके बाद चार दिनों तक महिला और उनके पति को लगातार वीडियो कॉल पर रखा गया। दंपत्ति को घर से बाहर निकलने, किसी से बात करने, यहां तक कि पर्दा खोलने-बंद करने तक के लिए अनुमति लेनी पड़ रही थी। ठग लगातार घर की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे और हर छोटी-बड़ी जानकारी मांगते थे।

डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठगों ने दंपत्ति पर 70 लाख रुपए जमा करने का दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि पुलवामा केस में उनके खाते का नाम हटाने के लिए यह रकम अनिवार्य है। यहां तक धमकी दी गई कि अगर उन्होंने रकम नहीं दी तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा। दंपत्ति इतने भयभीत थे कि जैसा कहा जाता, वैसा ही करते। पति-पत्नी दोनों मानसिक रूप से पूरी तरह विचलित हो चुके थे।

चार दिनों तक लगातार चले इस मानसिक उत्पीड़न के बाद किसी तरह मामला पुलिस के संज्ञान में आया। साइबर सेल और स्थानीय पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और दंपत्ति को समझाकर डिजिटल अरेस्ट की स्थिति से बाहर निकाला। पुलिस के समय पर हस्तक्षेप से दंपत्ति 70 लाख रुपए ठगों को भेजने से बच गए, वरना उनकी जीवनभर की जमा-पूंजी ठगी का शिकार हो जाती।

पुलिस अधिकारियों ने साफ चेतावनी दी है कि एटीएस, सीबीआई, आरबीआई या कोई भी सरकारी एजेंसी वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट नहीं करती और न ही किसी जांच के बहाने पैसा ट्रांसफर करवाती है। यह संगठित साइबर गैंग का नया तरीका है, जिसमें लोगों को मानसिक रूप से जकड़कर उनसे रकम ऐंठी जाती है।

पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि ऐसे किसी भी कॉल पर भरोसा न करें और तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं। यह मामला फिर साबित करता है कि साइबर ठग कितने खतरनाक और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने वाले तरीके अपनाने लगे हैं। समय पर कार्रवाई न होती तो दंपत्ति की जीवनभर की बचत ठगों के हाथ चली जाती।

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