राजकोट, 24 दिसंबर (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि गुरुकुल की एक विशेषता हम सब जानते हैं कि श्री स्वामिनारायण गुरुकुल राजकोट ऐसा संस्थान है जो हर गरीब छात्र से शिक्षा के लिए एक दिन का केवल एक रुपया ही फीस लेता है।
श्री मोदी ने कहा कि इससे गरीब विद्यार्थियों के लिए शिक्षा पाने का रास्ता आसान हो रहा है। आज के युग में हर किसी को गुरुकुल की शिक्षा प्रभावित करती है, गुुरुकुल उस कठिन काल में भी और आज भी ये अपना दायित्व बखूबी निभा रहे हैं।
श्री मोदी श्री स्वामिनारायण गुरुकुल राजकोट संस्थान के 75वें अमृत महोत्सव में शनिवार को श्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधन कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज़ादी के तुरंत बाद भारतीय मूल्यों और आदर्शों की नींव पर इस आंदोलन को, इस संस्थान को निर्मित किया गया। पूज्य धर्मजीवनदास स्वामी जी का राजकोट गुरुकुल के लिए जो विज़न था, उसमें अध्यात्म और आधुनिकता से लेकर संस्कृति और संस्कार तक, सब कुछ समाहित था।
उन्होंने कहा, “आज वह विचार-बीज इस विशाल वटवृक्ष के रूप में हमारे सामने है। मैं गुजरात में आप सबके बीच में ही रहा हूँ, आप ही के बीच में पला-बड़ा हूं। और ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे इस वट-वृक्ष को आकार लेते हुए अपनी आंखों से करीब से देखने का सुअवसर मिला है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस गुरुकुल के मूल में भगवान स्वामिनारायण की प्रेरणा रही है-“ प्रवर्तनीया सद् विद्या भुवि यत् सुकृतं महत्!” अर्थात्, सत् विद्या का प्रसार संसार का सबसे पवित्र, सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। यही तो ज्ञान और शिक्षा के प्रति भारत का वो शाश्वत समर्पण है, जिसने हमारी सभ्यता की नींव रखी है। इसी का प्रभाव है कि कभी राजकोट में केवल सात विद्यार्थियों के साथ प्रारंभ हुए गुरुकुल विद्या प्रतिष्ठानम की आज देश-विदेश में करीब 40 शाखाएँ हैं। हर वर्ष यहाँ हजारों की संख्या में विद्यार्थी आते हैं। पिछले 75 वर्षों में गुरुकुल ने छात्रों के मन-मस्तिष्क को अच्छे विचारों और मूल्यों से सींचा है, ताकि उनका समग्र विकास हो सके।
श्री मोदी ने कहा,“ अध्यात्म के क्षेत्र में समर्पित युवाओं से लेकर इसरो (आईएसआरओ) और बीएआरसी में वैज्ञानिकों तक हम गुरुकुल परंपरा ने हर क्षेत्र में देश की मेधा को पोषित किया है। गुरुकुल की एक विशेषता हम सब जानते है और आज के युग में हर किसी को वो प्रभावित करती है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि उस कठिन काल में भी और आज भी ये गुरुकुल एक ऐसा संस्थान है जो हर गरीब छात्र से शिक्षा के लिए एक दिन का केवल एक रुपया फीस लेता है। इससे गरीब विद्यार्थियों के लिए शिक्षा पाने का रास्ता आसान हो रहा है। ”