काठमांडू, 4 फरवरी | पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की अगुवाई में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) द्वारा की गई हड़ताल ने गुरुवार को यहां सामान्य जीवन बाधित कर दिया। हड़ताल के चलते सड़कों पर वाहनों की आवाजाही नहीं हुई। शिक्षण संस्थान बंद रहे और बहुत कम दुकानें ही खुलीं नजर आईं।
सत्तारूढ़ एनसीपी प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली से तब ही अलग हो गई थी, जब उन्होंने 20 दिसंबर, 2020 को प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था। तब से ही प्रचंड की अगुवाई वाला गुट आंदोलन कर रहा है।
हड़ताल के चलते सरकार ने सुरक्षा कड़ी कर दी है और लोगों से हड़ताल को टालने का आग्रह किया है। नेपाल पुलिस के अनुसार, वरिष्ठ नेता अस्टा लक्ष्मी शाक्य समेत प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट से जुड़े कम से कम 75 सदस्य और कैडर गिरफ्तार किए गए हैं। इसके अलावा ओली के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और मामले की सुनवाई चल रही है।
सदन को भंग करने और 30 अप्रैल एवं 10 मई को चुनाव कराने के ओली के प्रस्ताव पर नेपाल के प्रमुख दल बंट गए हैं। ओली द्वारा विभिन्न संवैधानिक निकायों में 32 लोगों को नियुक्त करने के बाद, प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने विरोध में हड़ताल की घोषणा कर दी थी।
पार्टी प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा कि संवैधानिक निकायों में लोगों की नियुक्ति का कदम असंवैधानिक है। श्रेष्ठ ने कहा, “गुरुवार की हड़ताल ओली के फासीवादी रवैये और अराजकतावाद के खिलाफ है। हड़ताल शांतिपूर्ण लेकिन आक्रामक रहेगी।”